दुनियाँ को यथेष्ट से समझ पाना आसान नहीं है। दुनियाँ को यथेष्ट से समझ पाना आसान नहीं है।
कुछ पिंजरे हम मर्जी से चुनते हैं, कुछ पिंजरे हमें फंसा लेते हैं।विचारों की बेबसी में आं कुछ पिंजरे हम मर्जी से चुनते हैं, कुछ पिंजरे हमें फंसा लेते हैं।विचारों की बेबसी...
"देखो बेटा ,तुम मुझे खुल कर बताओ क्या उम्मीदें हैं तुम्हारी इस शादी से, मुझे अच्छा लगेग "देखो बेटा ,तुम मुझे खुल कर बताओ क्या उम्मीदें हैं तुम्हारी इस शादी से, मुझे अच्...
वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था। वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था।
कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है। कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है।
ताकि उनके कदम ज़िन्दगी में किसी भी परिस्थिति में निर्णय लेने हेतु कदापि न लड़खड़ाएँ। ताकि उनके कदम ज़िन्दगी में किसी भी परिस्थिति में निर्णय लेने हेतु कदापि न लड़खड़ाएँ...